ब्रम्ह ज्ञान


                    ब्रम्ह ज्ञान 


जो अमर है ,उसे मृत्यु का क्या भय किसी महान उदेश्य के लिए प्राण देना मृत्यु नहीं होती !


१॰ प्रपंच क्या है?

   उत्तर :  जो कुछ दिखाई देता है , प्रपंच है !

२॰  जो दिखाई देता है , से क्या तात्पर्य है ?

   उत्तर : जो दृष्टिगोचर है मन और इंद्रियो का विषय है ! जो मैं स्वंय जनता हूँ ! वही दृश्य है !

३॰ जो दृष्टा है , उसे कौन जनता है ?  स्वंय को कौन देखता है ?

   उत्तर : वो स्वंय उसे देखने की किसी को आवश्यकता नहीं पड़ती ! जैसे सूर्य को प्रकाश के लिए  किसी दीये की जरूरत नहीं पड़ती वह स्वंय प्रकाशमान है ! 
   
४॰ यह संसार कहाँ से आया?
 
   उत्तर :  यह सृष्टि उससे सिर्फ उससे आई है !वह कौन है ?वह ब्रम्ह है ,वह ईश्वर है ,वही अपनी माया से संसार की रचना है , वही इस संसार का रचनाकर ,पालन और संहारक है !

   
५॰ ब्रम्ह संसार को रचना ,पालन ,और संहारक कैसे करता है ?

   उत्तर : जिस प्रकार मकड़ी अपने जाल की रचना करती है ,उसी में विचरण करती है ,और फिर उसी को निगल जाती है ,उसी प्रकार संसार की रचना , पागल और संहार करता है !
   
६॰ जीव क्या है?

 उत्तर : जीव आत्मा है ,वह निर्विकार स्वंय है परंतु अविध्या के प्रभाव मे आकर वह स्वंय को मन और शरीर समझ बैठता है ! इसलिए  वह संसार का अनुभव करता है !

 ७॰ अविध्या क्या है?

 उत्तर : अनातमा को आत्मा समझना ,निर्विकार को विकार युक्त समझना और इस संसार को ही सच समझना अविध्या है !

८॰ तो विध्या क्या है?

 उत्तर : आत्मा का ज्ञान विध्या है , “मैं”  जो सारे दुखो ,पीड़ाओ ,बन्ध्नो ,अज्ञान प्रतियोगिता ,ब्रम्ह , ब्राह्मण कल्पनाओ  से मुक्ति  दिलाये ! वह विध्या है !

 ९॰ विध्या दृष्टि देती है ,जिससे व्यक्ति अपने ब्रम्ह रूप को पहचान सके !

१०॰ ब्रम्ह को जानने की प्रक्रिया क्या है ?

  उत्तर :  ब्रम्ह को जानने का दो मार्ग है!

  पहला मार्ग: यह जानना कि ब्रम्ह क्या नहीं है, जो ब्रम्ह नहीं है उसे निषेध करना । सब नाम गुण , सब दोष और परिवर्तनशील वस्तु को निषेध कर निर्विकार को जानना!
  
  दूसरा मार्ग: सत्य जैसा है उसे वैसा ही पहचानना । वह अस्तित्व रूप है, उसके बिना संसार का अस्तित्व ही नहीं हैवह ब्रम्ह ही था , वह ब्रम्ह ही है, इसीलिए मैं ब्रम्ह हूँ, तुम ब्रम्ह हो, हम सब ब्रम्ह ही हैं, इसीलिए सारा संसार ही ब्रम्ह है!
  
११॰ ब्रम्ह को कैसे जाना जा सकता है?

  उत्तर: ब्रम्ह को सही सामाजिक व्यवहार , आध्यात्मिक चिंतन , ध्यानपूर्वक सुनने, नित्य अनुभावों पर विचार करनेऔर निष्कर्ष पर मनन करने  तथा समाधि में जाकर जाना जा सकता है!
  १२॰ ब्रम्ह ज्ञानी के लक्षण क्या है?
  उत्तर: यदि कोई दावा करता है कि उसने ब्रम्ह को जान लिया है तो वह ब्रम्ह को नहीं जानता , ब्रम्ह को जानने के साथ ही ब्रम्ह को जानने का अधिकार मिट जाता है!
  १३॰ क्या उसे तर्क से जाना जा सकता है?
  उत्तर: नहीं , परंतु तर्क सहायक हो सकता है!
१४॰ क्या उसे प्राथना या भक्ति से जाना जा सकता है?
  उत्तर: नहीं , किन्तु प्राथना और भक्ति सहायक हो सकती है !
१५॰ क्या उसे योग और मनन से जाना जा सकता है?
  उत्तर: नहीं , लेकिन योग और मनन सहायक हो सकते हैं

  क्षमा ही प्रतिशोध है!

पश्चाताप की आग से बड़ा कोई आग नहीं है , “हर दिन इस आग में जलकर पवित्र हो” यही आपका प्रायश्चित होगा!

  शास्त्र को शस्त्र न बनाओ क्योकि शास्त्र जीवन विकास करते हैं और शस्त्र जीवन का विनाश!

  जितनी पुराना है हिमालय जितनी पुरानी है गंगा उतना पुराना है ये सत्य “हिंसा से कभी किसी ने किसी को नहीं जीता” !


 धन्यवाद.....मित्रो!

Comments

  1. Do you realize there's a 12 word phrase you can speak to your crush... that will trigger intense emotions of love and impulsive appeal for you buried within his chest?

    That's because hidden in these 12 words is a "secret signal" that triggers a man's instinct to love, treasure and guard you with all his heart...

    ===> 12 Words Who Trigger A Man's Desire Response

    This instinct is so hardwired into a man's brain that it will drive him to work better than before to make your relationship the best part of both of your lives.

    As a matter of fact, triggering this powerful instinct is absolutely important to achieving the best ever relationship with your man that once you send your man one of the "Secret Signals"...

    ...You'll immediately find him expose his heart and mind to you in a way he never expressed before and he will perceive you as the one and only woman in the world who has ever truly tempted him.

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