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दॄढ़ इच्छाशक्ति

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                    दॄढ़ इच्छाशक्ति     कोई भी काम करने के लिए जरूरी बातें ! जिसके बिना सफल हो पाना नामुमकिन है! १॰ अगर किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना हो तो उसे ठानना पड़ेगा! २॰ मतलब उसे उस कारण को ढूँढ निकालना पड़ेगा कि मैं जो करने वाला हूँ , उसका कारण क्या है ? ३॰ जो इंसान सफलता पाना चाहता है , उसका कारण निश्चित हो! ४॰ उस व्यक्ति का WHY? ( क्यों) साफ होना चाहिए मतलब वह यह काम क्यों करना चाहता है ? ५॰ जो काम करना चाहता है उसका कारण मजबूत होना चाहिए! ७॰ किसी चीज को पाने की इच्छा ही काफी नहीं है उसे उसको ठानना पड़ेगा “चाहिए ही चाहिए”! ६॰ वह इंसान तब तक उस वस्तु को नहीं पा सकता जब तक उस व्यक्ति के अंदर उस काम को     करने  की दृढ़ इच्छा  शक्ति पैदा नहीं होती! ७॰ अगर हम उससे कहेगें यह काम करो वह नहीं करेगा जब तक कि वह उसे करने के लिए दृढ़      संकल्पित ना हो जाए! ८॰ उस व्यक्ति के अंदर उस काम करने की जो वो करना चाहता है उसके लिए ताकत पैदा नहीं      होगी! वह या तो  काम को शुरू नहीं करेगा  ,  किसी के कहने पर शुरू भी किया तो उसे बीच में      ही छोड़ देगा!    

आप जानते हैं “ आप क्या चाहते हैं ?”

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आप जानते हैं “ आप क्या चाहते हैं ? ” मैं आज आपसे किसी और के बारे में नहीं बल्कि आप अपने बारे में कितना जानते हैं ? इस बारे में बात कहूँगा क्योकि लोग अपने बारे में कम दूसरे के बारे में ज़्यादा जानकारी रखते हैं , अगर मै कहूँ कि आप अपने बारे मेँ लिखें आप ज्यादा कुछ नहीं लिख पाएगें , क्योकि कुछ इंसान को छोडकर अधिकतर लोग दूसरे के बारे में जानकारी रखना अच्छा लगता है! जब अपने बारे में बात आती है तब इंसान अपने आपसे भागने लगता है! जो इंसान अपने आपको स्वयं पहचान लेता है तब उसके जीवन में अमूलचुल परिवर्तन होते हैं , जब तक स्वयं के बारे में नहीं जानता तब तक वह सुख बाहर किसी दूसरे में ढूँढता फिरता है पूरी ज़िंदगी कष्ट उठता रहता है वह इंसान बायहमुखी वक्तित्व वाला कहा जाता है! जो इंसान जब अपनी स्वयं को पहचान लेता है तब उसमें एक अलग तरह की आंतरिक सुख की अनुभूति होती है और उसे किसी चीज का भय नहीं रहता , किसी भी काम को करने का आत्मबल मजबूत होता है और हर क्षण आनंदित रहता है , उसे अन्तेर्मुखी व्यक्तित्व वाला व्यक्ति कहा जाता है अब मैं आपसे कुछ प्रशन निचे लिखूंगा उसे अपने आपसे पूछना

फर्क पड़ता है!

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फर्क पड़ता है! 1.         हालतों  से फर्क नहीं पड़ता , जज़्बे से फर्क पड़ता है! 2.        आपके अंदर जो विजेता छिपा है आज उसको बाहर निकालते हैं! 3.        आज यदि आप मेरी इन बातों को पूरा पढ़ते हैं , मुझे यक़ीन है की है कि आज के बाद आप की जिंदगी मेँ महत्वपूर्ण बदलाव आएगा! 4.        हालात कभी एक से नहीं रहते , बस आपका जज़्बा और नजरिया अड़िग रहना चाहिये! आपका नजरिया मौसम की तरह नहीं होना चाहिये , आज ऐसा कल वैसा! 5.        मुसीबते जीवन में आती रहेगी , यह कभी स्थायी नहीं होती , आती हैं- चली जाती हैं मुसीबतों से लड़ने की आपकी ताकत , आपकी छमता , आपकी व्यवहार , आपका जज़्बा वो सबसे महत्वपूर्ण है , वो अड़िग होना चाहिये! 6.        इतिहास गवाह है , जिस किसी ने कमाल किया है , बुरे हलतों से गुजर कर ही किया है! टेढ़े – मेढ़े रास्तो से होकर ही सफलता प्राप्त की है! 7.        23 की उम्र मे भगतसिंग फाँसी पर चढ़ गए! 23 की उम्र में लड़के गर्लफ्रेंड को सेट करने में लगे रहते हैं , कोई इन लड़को को फेस्बूक से आनफ़्रेंड कर दे या किसी ग्रुप्स से निकाल दे न तो डिप्रेसन में आ जाते हैं ,23 की उम्र वो लड़का

मोदीजी की जीवन के अमूल्य विचार!

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1.   हमारे मन की जो इच्छा है , वह स्थिर होनी चाहिए और जब   इच्छा स्थिर हो जाती है तब अपने आप मे संकल्प बन जाती है और एक बार संकल्प बन गया फिर पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ता बाधाएँ हो , कठिनाइयाँ हो , तकलीफे हों हमे लगे रहना है , सफलताआपके क़दम चूमती हुई चली आएगी! 2.   आप किस परिवार में पैदा हुए हैं , किस घर में पैदा हुए हैं यह चिंता छोड़ दीजिये आपके दिल में समाज के लिए , देश के लिए करने की आग है तो निकल पड़िए रास्ता अपने आप मिल जाएगा! 3.   मित्रो ! लेना , पाना , बनना ये ख़्वाब लेकर चलोगे तो   ख़्वाब - ख़्वाब रह जाएगा लेकिन देने के मिज़ाज से निकलोगे तो दुनिया आपके चरण चूमने लग जाएगी , ये मेरा विश्वाश है! 4.   ज़्यादातर लोग एसे होते हैं , जिनकी इच्छा रोज जन्म लेती हैं , ज़्यादातर इच्छाओ का बालमृत्यु हो जाता है , ऐसी क्या इच्छा जिसकी बालमृत्यु हों जाए , कुछ इछाएँ ऐसी होती हैं , जिनका गर्भधारण नहीं होता है! 5.   कुछ लोगों की इच्छाएँ हररोज बदलती हैं , आपके साथी आपको क्या कहते हैं "अरे छोड़ो वह बड़ा तरंगी है , वह रोज सुबह-शाम नई-नई चीजें सोचता है , वह बेकार है , वह ऊटपटाँग

मोदीजी की जीवन के अमूल्य विचार!

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1॰ जीवन को सफलता और विफलता के तराजू से नहीं तोलना चाहिए ! 2॰ जिस दिन से हम सफलता विफलता का हिसाब लगाते रहते है , फिर निराशा ही आती है ! 3॰ हमारी कोशिश यह रहनी चाहिए , कि हमे एक द्येय लेकर चलना चाहिए,  न कि सफल होने के मक़सद के लिए काम करना नहीं चाहिए! 4॰ एक तो सफलता विफलता को पाने के तराजू को जीवन के लक्ष्य के रूप मे देखना नही चाहिये लेकिन विफलता से बहुत कुछ सीखना चाहिए! 5. ज्यादातर लोग सफल ईसीलिए नहीं होते है क्योकि वो विफलता से कुछ सीखते नहीं है , हम विफलता से जितना ज़्यादा सीख सकते है , शायद सफलता से नहीं! 6॰ अगर सपने देखने है तो बनने के सपने कम , करने के सपने ज़्यादा देखो एक बार करने के सपने देखोगे तो आपको उसे करने का आनंन्द और आएगा , विफलता आएगी तो भी , रुकावते आएगी तो भी आपका लक्ष्य ओझल नहीं होगा! 7॰ ज़्यादातर लोग सफल इसीलिए नहीं होते हैं क्योकि वो विफलता से कुछ सीखते नहीं हैं , हम विफलता से जितना ज्यादा सीख सकते हैं , शायद सफलता से नही! 8॰ जो लोग रोज़ नए-नए विचार करते हैं , उनके जीवन में कभी भी सफलता नहीं आती है!