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“अगर लगे रहोगे तो जीत ही जाओगे”

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हर एक के जीवन में और उसके अंतरमन में चल रही बातों का जवाब नहीं मिलता , उसे लेकर वह खुद उलझा रहता है लेकिन उसके प्रयास के और उसकी खुदकी जानने और समझने की छमता को कभी बढ़ाने की कोशिश ही नहीं करता। अगर वह इस बारे में किसी दूसरे के सहारे रहता है उसे जीवन में कभी भी जीवन की मूलभूत बातों का पता नहीं चलता और वह एक पशु के समान आजीवन भटकता रहता है!         “ येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।         ते मृत्यु लोके भुवि भारभूता मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति” ।। अर्थ: “ जिन लोगों ने जीवन में न तो विद्या अर्जित की है , न कभी दान के काम में लगे हैं , न कभी तप किया है , उनके पास न ज्ञान है , न उत्तम आचरण है , न तो कोई गुण है , और न ही अपने धर्म के प्रति आस्था है वे लोग इस मृत्यु लोक में इस पृथ्वी पर भार बनकर मनुष्य होकर भी पशु के समान आजीवन भटकते रहते हैं! ’’ इसका एक जवाब है !        “ अगर लगे रहोगे तो जीत ही जाओगे ” क्या कभी आपके मन में ये सवाल आते हैं ? अपने आपसे पूछिए ! १॰ कब तक मैं यू ही संघर्ष करता रहूँगा ? २॰ क्या मेरे हालात कभी बदलेगें ?

दॄढ़ इच्छाशक्ति

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                    दॄढ़ इच्छाशक्ति     कोई भी काम करने के लिए जरूरी बातें ! जिसके बिना सफल हो पाना नामुमकिन है! १॰ अगर किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना हो तो उसे ठानना पड़ेगा! २॰ मतलब उसे उस कारण को ढूँढ निकालना पड़ेगा कि मैं जो करने वाला हूँ , उसका कारण क्या है ? ३॰ जो इंसान सफलता पाना चाहता है , उसका कारण निश्चित हो! ४॰ उस व्यक्ति का WHY? ( क्यों) साफ होना चाहिए मतलब वह यह काम क्यों करना चाहता है ? ५॰ जो काम करना चाहता है उसका कारण मजबूत होना चाहिए! ७॰ किसी चीज को पाने की इच्छा ही काफी नहीं है उसे उसको ठानना पड़ेगा “चाहिए ही चाहिए”! ६॰ वह इंसान तब तक उस वस्तु को नहीं पा सकता जब तक उस व्यक्ति के अंदर उस काम को     करने  की दृढ़ इच्छा  शक्ति पैदा नहीं होती! ७॰ अगर हम उससे कहेगें यह काम करो वह नहीं करेगा जब तक कि वह उसे करने के लिए दृढ़      संकल्पित ना हो जाए! ८॰ उस व्यक्ति के अंदर उस काम करने की जो वो करना चाहता है उसके लिए ताकत पैदा नहीं      होगी! वह या तो  काम को शुरू नहीं करेगा  ,  किसी के कहने पर शुरू भी किया तो उसे बीच में      ही छोड़ देगा!