शास्त्रार्थ
शास्त्रार्थ
आज जो कुछ हो रहा है जो आप देख रहे हैं अज्ञानता के कारण हो रहा है, हमारे शास्त्रों मेँ बहुत अच्छी तरह से समझाया है लेकिन उसे इस जमाने मेँ
कितने लोग अपनाते हैं या उसका पालन करते हैं! मुझे लगता है समाज मेँ जब तक
शास्त्रों का प्रचार और प्रसार नहीं होगा तब तक हम इसी प्रकार की अनेक समस्याओ से
जूझते रहेगे!
आचार्य चाणक्य ने लगभग २८०० वर्ष पहले कहा था!
१. सबसे बड़ा शत्रु कौन है?
उत्तर : अहंकार
२. निर्धन का धन क्या है?
उत्तर : निर्धन का धन विध्या है!
३॰ सद्पुरुष
कौन है?
उत्तर: जो परोपकार के लिए आगे बढ़े वही सद्पुरुष है!
४. स्त्री का आभूषण क्या है?
उत्तर : लज़्जा !
५. सबसे
बड़ा वीर कौन है ?
उत्तर : सबसे बड़ा वीर दानवीर है !
६. धन की रक्षा किससे करनी चाहिए?
उत्तर : धन की रक्षा चोरो से और राजपुरुषों से करनी चाहिए!
७॰ सुख का
मोल क्या है ?
उत्तर :
सुख का मोल धर्म है!
८॰ धर्म
का मोल क्या है?
उत्तर :
धर्म का मोल अर्थ है!
९॰ अर्थ का मोल क्या है?
उत्तर :
अर्थ का मोल राज्य है!
१०॰ राज्य का मोल क्या है?
उत्तर :
राज्य का मोल अपनी इंद्रियो
पर जय प्राप्त करना है !
११॰ इंद्रियो पर जय का मोल क्या
है?
उत्तर : इंद्रियो पर जय का मोल विनय है!
१२॰ विनय का मोल क्या है ?
उत्तर : विनय का मोल वृद्धो की सेवा है!
१३॰ राजा का हित किसमे होता है
?
उत्तर : राजा का हित प्रजा के हित मे होता है !
१४॰ शास्त्रो में राजा की स्थिति
क्या है ?
उत्तर :
राजा की स्थिति “एक वेतन भोगी और कुछ नहीं
!"" निद्रा,भोजन,भोग,भय ये नर पशु समान |
ज्ञान अधिक एक नरन में,ज्ञान बिना पशु जान ||"
एक शिक्षक का महत्व हर एक मनुष्य को जानना चाहिए!
माना कि एक साहसिक योद्धा एक युद्ध जीतकर दिखा सकता है, किन्तु एक शिक्षक किसी साधारण जन को उस युद्ध को जीतने के योग्य बना सकता है! किसी भी युद्ध को जीतने के लिए चुनौती उस युद्ध के लिये योद्धा को ढूँढने में नहीं, किन्तु साधारण जन को युद्ध का कारण बताकर, उन्हें असाधारण बनाने की है , जो एक शिक्षक ही कर सकता है!
"शिक्षक कभी साधारण नहीं होता,
प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं!"
धन्यवाद...मित्रों!
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